Tuesday, 21 August 2018

हम गोरे और काले क्यू होते है बिस्तृत व सामान्य शब्दो में


 सूर्य के किरणों के वजह से


दोस्तों सूर्य पृथ्वी पर उर्जा का सबसे बड़ा सोत्र है | पानी के बाद यही एक है जिसके वजह से पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाया है | पर दोस्तों जहा सूर्य से हजारो फायदे है वही इससे कुछ नुकसान भी है | जिसमे से हमारा काला गोरा होना भी एक है | दोस्तों सूरज के किरणों में विटामिन डी मिलती है | जिससे सूर्य के प्रकाश में थोड़े समय के लिये बैठना हमारे स्वास्थ के लिए लाभदायक होता है | पर सूर्य के प्रकाश में ज्यादा समय तक रहने पर आपने नोट किया होगा की आपकी त्वचा लाल व सावाली पड़ने लगी होगी | जिसकी वजह है सूर्य के प्रकाश में बिटामिन डी के आलावा पैराबैगनी जैसे नकारात्मक तत्वो का मिला होना | जो हमारे त्वचा को गोरी व काली करने वाली मेलानिन पिगमेट को प्रभावित करती है | ये उनके साथ क्रिया करके उनके बनने की रफ़्तार को बढ़ा या घटा देती है | दोस्तों अगर धुप ज्यादा यानि उष्मा अधिक हो | तो हमारे त्वचा में उपलब्ध मेनालिन ज्यादा तेजी से बनते है | और अगर धुप कम है तो मेनालिन धीरे धीरे बनते है | दोस्तों आपको सुन कर आश्चर्य होगा की जब मेलेनिन हमारे त्वचा में ज्यादा बनती है | तो हमारी त्वचा काली होने लगाती है  | और अगर धीरे धीरे यानी कम बनती है तो हमारी त्वचा गोरी होने लगाती है | दोस्तों यही वजह है की अफ्रीका में ज्यादा गर्मी होने के वजह से वहा के लोग काले और अमेरिका में ज्यादा सर्दी होने के वजह से वहा के लोग गोरे होते है | दोस्तों अगर उदहारण के तौर पर आप आपने भारत में ही देखे तो ठन्डे इलाके कश्मीर सिमला जैसे जगहों के अधिकतर लोग गोरे होते है | वही राजस्थान के कुछ इलाके व दक्षिणी भारत के अधिकतर लोग सवाले व काले होते है 
धुल गन्दगी के कारण से


दोस्तों धुल डस्ट जैसी गंदगिया हमारे चहरे को काला करने वाली सबसे बड़ी कृतिम कारण है | दोस्तों धुल डस्ट जैसी गंदगियो का अवशोषण झमता हमारे चहरे के त्वचा के अवशोषण झमता से कई गुना ज्यादा होती है | जिससे जब ये हमारे त्वचा पर चिपकी रहती है और हम सूर्य के प्रकाश में जाते है | तो ये गंदगिया सूर्य के उष्मा को काफी तेजी से और काफी समय तक अवशोषित कर लेटी है | जिससे हमारे त्वचा में उपस्थित मेलनिन तेजी से बनने लगते है और हमारी त्वचा काली होने लगाती है | 

अनुवाशिक  कारण से

दोस्तों हमारे काले या गोरे होने में सूर्य और गन्दगी के अलावा अनुवाशिक कारण भी मुख्य है | हालाकि कुछ बैज्ञानिको का मानना है | की अनुवाशिक गुण बस बच्चे के चेहरे और शरीर पर पड़ता है उसके त्वचा के रंग पर नहीं | पर अधिकतर वैज्ञानिको का मानना है की माता पिता का अनुवाशिक गुण बच्चे के त्वचा के रंग पर भी पड़ता है | दोस्तों इन बैज्ञानिको के मुताबिक होने वाले नवजात बच्चे को उसके माता पिता के अन्य गुणों के साथ साथ उनके त्वचा के मेलनिन का गुण भी मिलता है | जिसके वजह से ही अधिकतर बच्चे अपने माता पिता की तरह गोर सवाले या काले पैदा होते है | और अगर दोस्तों मेरी राय माने तो मै भी इन वैज्ञानिको के मत से सहमत हूँ | क्युकी कही हो या ना हो पर हमारे भारत में अकसर देखने को मिलाता है की बच्चे की त्वचा का रंग अक्सर अपने माता पिता पर ही गयी होती है 

त्वचा के बारे में कुछ और रोचक बाते
1.    नवजात बच्चो के त्वचा का असली रंग हमें उसके जन्म के 6 महीने बाद ही पता चलता है
2.    अगर हमारी शरीर के चमड़ी यानि पूरी त्वचा को जमीन पर बिछाया जाय तो ये लगभग हास्पिटल के मरीज के बेड(20 स्क्वायर फिट) इतना जगह छेकेगी
3.    सामान्य व्यक्ति यानि बिना व्यायाम कसरत करेंने वाले ब्यक्ति के चहरे पर 25 साल के उम्र के बाद से ही झुरिया बनानी सुरू हो जाती है
4.    जो ब्यक्ति दिन भर में एक दर्जन या उससे ज्यादा सिगरेट पिटे है उनके माथे व हाथो की लकीरे अधिक गहरी नहीं होती है
5.    हर 100 पुरुष में से 3 को किल मुहाशे निकलते है वही 100 औरतो में 10 औरतो को किल मुहाशे निकलते है
6.    हमारे शरीर की सबसे पतली चमड़ी आख(0.2mm se 0.5mm tak) की होती है और सबसे मोती चमड़ी तलवे(4mm) की
7.    हमारी जवानी तक हमारी त्वचा की परत 28 दिन में एक बार और पुरे जिन्दगी में लगभग 1000 बार बदलती है
8.    जब हमारी धडकने बंद हो जाती है तो हमारी त्वचा सफ़ेद या बैगनी रंग में बदल जाती है
9.    चिंता करने से न सिर्फ हमारे चहरे पर किल मुहाशे निकलते है बल्कि हमारे त्वचा भी पतली हो जाती है जिससे हम जल्दी बूढ़े हो जाते है

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